एलोपैथी के अधिक साइड इफेक्ट्स होने के कारण अब अधिकतर लोग चोट, मोच और शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द होने पर फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते है। तो आइए विस्तार से जानते है कि Physiotherapist कैसे बनें?
आपको बता दें कि फिजियोथेरेपी ट्रेंडिंग करियर (trending career) में से एक हैं यानी इसका वर्तमान में भी बहुत मांग है और भविष्य में भी रहने की संभावना है।
लोगों के जीवन शैली (lifestyle) में बदलाव के कारण, बहुत अधिक टीवी, कंप्यूटर और लैपटॉप के सामने बैठने के कारण, स्मार्टफोन और टैब में घंटो गेम खेलने के कारण, गलत मुद्रा (Posture) में बैठने और सोने के कारण और कभी-कभी व्यायाम और खेल के दौरान अंदरूनी खिंचाव के कारण लोग विभिन्न तरह के दर्द का शिकार हो रहे हैं और इसके इलाज के लिए फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते है।
इस ब्लॉग पोस्ट में आप जानेंगे कि फिजियोथेरेपी क्या होता है, Physiotherapist कैसे बनें?, फिजियोथैरेपिस्ट बनने के लिए कोर्स, योग्यता, फीस और टॉप कॉलेज। और अंत में जानेंगे फिजियोथेरेपी के कोर्स करने के बाद करियर स्कोप, जॉब प्रोफाइल और सैलरी।
फिजियोथेरेपी क्या होता है
फिजियोथेरेपी एक उपचार पद्धति है जिसमें प्रशिक्षित फिजियोथैरेपिस्ट के द्वारा व्यायाम कराकर तथा अन्य कुछ भौतिक साधनों का उपयोग करके चोट, मोच, अंदरूनी खिंचाव और शरीर के विभिन्न हिस्सों के दर्द को ठीक किया जाता है।
Physiotherapy को हिंदी में भौतिक चिकित्सा पद्धति कहा जाता हैं।
एमबीबीएस (MBBS) और बीडीएस (BDS) के अलावा ये भी बहुत ही मशहूर मेडिकल प्रोग्राम है।
फिजियोथेरेपी मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं।
- Geriatric Physical Therapy
- Sports Physical
- Orthopedic Physiotherapy
- Pediatric Physical Therapy
Physiotherapist बनने के लिए कोर्स
फिजियोथेरेपी क्या होता है? ये आप जान चुके हैं। अब हम लोग जानेंगे कि Physiotherapist कैसे बनें? फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए तीन तरह के कोर्स है, जो निम्नलिखित हैं।
- डिप्लोमा प्रोग्राम
- अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम
- पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम
12वीं के बाद फिजियोथेरेपी कोर्स
कोर्स का नाम | कोर्स का प्रकार | अवधि | कोर्स फी |
डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी | डिप्लोमा | 2 से 3 साल | 10k – 5L |
बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी | स्नातक डिग्री | 4 साल | 1L – 5L |
बीएससी इन फिजियोथेरेपी | स्नातक डिग्री | 3 साल | 1L – 5L |
बैचलर ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी | स्नातक डिग्री | 3 से 5 साल | 5L |
बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस | स्नातक डिग्री | 5 साल (इंटर्नशिप सहित) | 7k – 2.25L |
फिजियोथेरेपी के डिप्लोमा प्रोग्राम में प्रवेश के लिए पात्रता (Eligibility Criteria)
सभी अंडर ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम के लिए आपको 10+2 पास होना चाहिए। इसमें एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) हो भी सकती है और नहीं भी, ये पूरी तरह आपके कॉलेज पर निर्भर करती है।
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम के लिए आपको स्नातक (graduation) अच्छे अंकों से या न्यूनतम अंकों से जो आपके कॉलेज में एडमिशन के लिए जरूरी हो, से पास होना जरूरी है।
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फिजियोथेरेपी के स्नातक प्रोग्राम में प्रवेश के लिए पात्रता (Eligibility Criteria)
बैचलर इन फिजियोथेरेपी (BPT) प्रोग्राम में एडमिशन के लिए आपका 10+2 न्यूनतम 50% अंक के साथ पास होना जरूरी है, जिसमें फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी (PCB) अनिवार्य विषय हो।
आपको बैचलर इन फिजियोथेरेपी (BPT) प्रोग्राम में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) भी क्वालीफाई करना होगा।
इसकी प्रवेश परीक्षा में Common Entrance Test (CET), GGSIPU CET, आदि आते हैं।
हालांकि, आप B.Sc. in Physiotherapy में अपने 12वीं के बोर्ड एग्जाम के मेरिट के आधार पर एडमिशन करा सकते है। B.Sc. प्रोग्राम में एडमिशन के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं है।
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पोस्ट ग्रेजुएट फिजियोथेरेपी कोर्स
कोर्स का नाम | कोर्स का प्रकार | अवधि | कोर्स फी |
मास्टर इन फिजियोथेरेपी | पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री | 2 साल | 2L – 7L |
एमएससी इन फिजियोथेरेपी | पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री | 2 साल | 35k – 2.5L |
मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी (न्यूरोलॉजी) | पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री | 2 साल | 30k – 5L |
एमडी इन फिजियोथेरेपी | पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री | 3 साल | 10L – 25L |
मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी इन स्पोर्ट फिजियोथेरेपी | पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री | 2 साल | 2L – 7L |
पीजी डिप्लोमा इन स्पोर्ट फिजियोथेरेपी | पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा | 1 साल | – |
पीएचडी इन फिजियोथेरेपी | डॉक्टरेट डिग्री | 2 साल | 5k – 25L |
फिजियोथेरेपी के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में प्रवेश के लिए पात्रता (Eligibility Criteria)
मास्टर इन फिजियोथेरेपी (MPT) में सीट पाने के लिए आपको बैचलर इन फिजियोथेरेपी (BPT) में 50% अंक लाना होगा।
इसकी प्रवेश परीक्षा में ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट फिजियोथेरेपी एंट्रेंस टेस्ट, सीईटी फॉर मास्टर्स कोर्स, JIPMER ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम, आदि आते हैं।
आपको MPT कोर्स में एडमिशन के लिए फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में कम-से-कम 6 महीने की इंटर्नशिप करनी होगी।
M.Sc. in Physiotherapy में एडमिशन आपको आपके स्नातक (graduation) के परफॉर्मेंस के आधार पर और साथ ही आपके यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एमएससी एंट्रेंस एग्जाम को क्वालीफाई करने के पश्चात मिल जाएगा।
Doctoral प्रोग्राम के लिए आपको पोस्ट ग्रेजुएट में अच्छा अंक (marks) लाना होगा, प्रवेश परीक्षा और फेलोशिप के लिए इंटरव्यू क्लियर करना होगा।
फिजियोथेरेपी कोर्स करने के लिए टॉप कॉलेज
- अपोलो फिजियोथेरेपी कॉलेज, हैदराबाद
- इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च, पटना
- अपेक्स यूनिवर्सिटी, जयपुर
- मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर
- असम डाउनटाउन यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी
- स्वामी विवेकानन्द यूनिवर्सिटी, कोलकाता
- जेएसएस कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी, मैसूर
फिजियोथेरेपी के कोर्स करने के बाद करियर स्कोप
Physiotherapist कैसे बनें? ये आप जान चुके हैं। अब हम लोग जानेंगे कि फिजियोथेरेपी के कोर्स करने के बाद क्या-क्या करियर स्कोप है।
फिजियोथेरेपिस्ट की मांग सरकारी और निजी (private) दोनों क्षेत्र में रहती हैं। कई फिजियोथेरेपिस्ट कुछ साल जॉब करने के बाद उस पैसे और अनुभव के साथ अपना क्लीनिक खोल लेते हैं।
फिजियोथेरेपी के कोर्स करने के बाद आप इन सब क्षेत्रों में जॉब पा सकते हैं:
- स्पोर्ट्स क्लब
- फार्मा इंडस्ट्री
- हेल्थ इंस्टीट्यूसन
- रिहैबिलिटेशन सेंटर
- कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी
- जिम एंड फिटनेस सेंटर
- ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट्स
- डिफेंस मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन
- स्कूल फॉर फिजिकली डिसेबल्ड एंड मेंटली रिटार्डेड चिल्ड्रन
फिजियोथेरेपी के कोर्स करने के बाद आप ये सब बन सकते हैं
- रिसर्चर
- कंसल्टेंट
- रिसर्च असिस्टेंट
- फिजियोथेरेपिस्ट
- प्राइवेट प्रैक्टिशनर
- रिहैबिलेशन स्पेशलिस्ट
- असिस्टेंट फिजियोथेरेपिस्ट
- स्पोर्ट्स फिजियो रिहैबिलिटेटर
- सेल्फ एम्प्लॉयड प्राइवेट फिजियोथेरेपिस्ट
फिजियोथेरेपी कोर्स करने के बाद सैलरी
Physiotherapist कैसे बनें? जानने के बाद अब हम लोग जानेंगे की फिजियोथेरेपिस्ट को वेतन कितनी तक मिलती है।
फिजियोथेरेपी कोर्स पूरा करने के बाद आपकी शुरुआती वेतन पंद्रह हजार से बीस हजार (15,000 – 20,000) ₹ प्रति माह हो सकती है। धीरे-धीरे समय, अनुभव और कार्यकुशलता बढ़ने के साथ-साथ आपकी वेतन भी बढ़ती रहेगी।
सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट कुछ अनुभव प्राप्त करने के बाद सत्तर हजार (70,000) ₹ प्रति माह तक कमाते हैं।
खेल (sports) के क्षेत्र में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए बहुत ही अच्छा सैलरी स्कोप है।
उम्मीद है कि इस ब्लॉग पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे कि Physiotherapist कैसे बनें? अगर आप किसी और करियर के बारे में इसी तरह विस्तार से जानना चाहते हैं तो कमेंट में जरूर बताएं।
Physiotherapist बनने से संबंधित प्रश्न (FAQs)
Physiotherapist Banne Ke Liye Kya Karna Padta Hai?
Physiotherapist बनने के लिए 12वीं के बाद आपको 2 साल का फिजियोथेरेपी में डिप्लोमा या फिर इसी क्षेत्र में 3 से 4 साल का स्नातक कोर्स करना होता है.
12वीं के बाद आप डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी, बीएससी इन फिजियोथेरेपी, बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी, आदि जैसे कोर्स करके फिजियोथैरेपिस्ट बन सकते है.
क्या भविष्य में फिजियोथेरेपी की मांग होगी?
हां, जरूर होगी. लोगों के बदलते लाइफस्टाइल, अधिक देर तक बैठे रहने की आदत, व्यायाम करने में सुस्ती, आदि इस बात के गवाह है की आगे कमर दर्द, घुटना दर्द, आदि जैसी समस्या और बढ़ेगी और लोग इसका इलाज करवाने के लिए फिजियोथेरेपी करने वाले (Physiotherapist) के पास जाएंगे.
अब कुछ आंकड़ों की तरफ भी देख लेते है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्येक 10,000 निवासियों पर एक फिजियोथेरेपिस्ट होना चाहिए. क्या ये है? नहीं, तो इस देश की आबादी के मुताबिक अभी बहुत फिजियोथेरेपिस्ट की और जरूरत है.
फिजियोथेरेपिस्ट की सैलरी कितनी होती है?
Indeed के अनुसार फिजियोथेरेपिस्ट की औसत सैलरी ₹20,043 प्रति महीना होता है. ये सैलरी अनुभव के साथ बढ़ता रहता है.
Physiotherapy Course Kitne Saal Ka Hai?
Physiotherapy में सबसे प्रसिद्ध कोर्स है “बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी” जो की 4 साल का होता है.
वहीं फिजियोथेरेपी का डिप्लोमा, मास्टर और पीएचडी कोर्स 2 वर्ष का होता है.
क्या डिप्लोमा वाले फिजियोथैरेपिस्ट अपने नाम के आगे डॉक्टर लिख सकते हैं?
नहीं, डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी सहित कोई भी फिजियोथेरेपी कोर्स किए हुए फिजियोथैरेपिस्ट अपने नाम के आगे डॉक्टर (Dr) नहीं लगा सकते है.
इस पर बहुत दिनों से विवाद चल रहा था की फिजियोथैरेपिस्ट अपने नाम के आगे डॉक्टर लगा सकते है कि नहीं. इस मुद्दे पर इंडियन मेडिकल काउंसिल (IMA) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्टस के राय में मतभेद भी था.
परंतु सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को ये कहकर हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दिया की 1956 के मेडिकल काउंसिल अधिनियम में उल्लेख किया गया है कि उपसर्ग (prefix) “डॉ” केवल चिकित्सा की एलोपैथिक प्रणालियों में है. फिर उन्होंने आगे कहा की थेरेपी के किसी मोड में इस डॉ के टाइटल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
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